म्यूचुअल फंड में पैसा लगाया? जानें किस तरह के रिटर्न से होगा सबसे ज्यादा फायदा!, Mutual fund return types explained – म्यूचुअल फंड आज के समय में निवेश का एक लोकप्रिय माध्यम बन चुका है। यह उन लोगों के लिए आदर्श है जो सीधे शेयर बाजार में निवेश करने के बजाय विशेषज्ञों के द्वारा अपने पैसे का प्रबंधन करवाना चाहते हैं।
लेकिन म्यूचुअल फंड से मिलने वाले रिटर्न के प्रकार और उनकी दर (Return Rate) को समझना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि इससे आपके निवेश का सही मूल्यांकन होता है। आइए सरल भाषा में म्यूचुअल फंड रिटर्न्स के विभिन्न प्रकारों और उनकी रिटर्न दरों के बारे में जानते हैं।
म्यूचुअल फंड से मिलने वाले रिटर्न के प्रकार
म्यूचुअल फंड निवेशकों को विभिन्न प्रकार के रिटर्न्स प्रदान करते हैं। हर रिटर्न का अपना महत्व और उपयोग है। नीचे इनके प्रमुख प्रकार दिए गए हैं:
एब्सोल्यूट रिटर्न (Absolute Return)
यह रिटर्न आपके निवेश पर कुल कमाई को दर्शाता है। इसे निवेश की शुरुआत और अंत की कीमत के अंतर से मापा जाता है।
उदाहरण:
अगर आपने ₹10,000 निवेश किए और 2 साल बाद यह ₹12,000 हो गया, तो आपका एब्सोल्यूट रिटर्न 20% होगा।
सीएजीआर (CAGR – Compound Annual Growth Rate)
यह रिटर्न लंबे समय में आपके निवेश की वार्षिक वृद्धि दर को दिखाता है। यह निवेश के प्रदर्शन का सही आकलन करने में मदद करता है।
उदाहरण:
₹10,000 का निवेश 5 साल में ₹15,000 हो गया। इसका CAGR लगभग 8.45% होगा।
एक्स-डिविडेंड रिटर्न (Ex-Dividend Return)
जब म्यूचुअल फंड स्कीम निवेशकों को डिविडेंड देती है, तो यह रिटर्न उस आय को भी शामिल करता है। यह निवेश के कुल फायदों का एक बड़ा हिस्सा होता है।
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रेलेटिव रिटर्न (Relative Return)
यह रिटर्न आपके म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन की तुलना उसके बेंचमार्क या इंडेक्स से करता है।
उदाहरण:
अगर आपका फंड 12% रिटर्न देता है और बेंचमार्क 10% का है, तो आपका रेलेटिव रिटर्न 2% होगा।
एनुअल रिटर्न (Annual Return)
एनुअल रिटर्न यह दर्शाता है कि किसी निवेश ने एक साल में कितना लाभ कमाया। यह रिटर्न प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग देखा जाता है और सालाना प्रदर्शन को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।
उदाहरण: मान लीजिए आपने ₹1,00,000 का निवेश किया और 3 साल बाद यह ₹1,50,000 हो गया, तो वार्षिक रिटर्न होगा: 16.67%
पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न (Point to Point Return)
पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न निवेश के एक निश्चित बिंदु (शुरुआत) से दूसरे बिंदु (समाप्ति) तक हुए रिटर्न को दर्शाता है। इसका उपयोग निवेश की समय-सीमा को ध्यान में रखकर विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
यदि आपने 2018 में ₹1,20,000 का निवेश किया और 2023 में इसका मूल्य ₹2,00,000 हो गया, तो:66.67%
अन्य रिटर्न प्रकार
- ट्रेलिंग रिटर्न: बीते समय में स्कीम का प्रदर्शन।
- रोलिंग रिटर्न: समय की एक निश्चित अवधि के दौरान रिटर्न का विश्लेषण।
- एन्युअलाइज्ड रिटर्न: किसी भी समयावधि के आधार पर वार्षिक रिटर्न की गणना।
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म्यूचुअल फंड रिटर्न पर असर डालने वाले प्रमुख कारक
- बाजार की स्थिति (Market Conditions):
शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव म्यूचुअल फंड पर पड़ता है। - फंड मैनेजर का अनुभव:
फंड का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करता है कि फंड मैनेजर ने निवेश कहाँ किया है और उनकी रणनीति कितनी प्रभावी है। - निवेश का समय (Time Horizon):
लंबे समय तक निवेश में कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, जिससे रिटर्न बेहतर हो सकता है। - खर्च अनुपात (Expense Ratio):
यह वह शुल्क है जो फंड हाउस निवेश प्रबंधन के लिए लेता है। कम खर्च अनुपात वाले फंड आमतौर पर बेहतर रिटर्न देते हैं।
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म्यूचुअल फंड रिटर्न रेट क्या होता है?
म्यूचुअल फंड की रिटर्न दर उस दर को दर्शाती है जिस पर आपका निवेश समय के साथ बढ़ता है। यह हर फंड और उसकी श्रेणी (Debt, Equity, Hybrid) पर निर्भर करती है।
- इक्विटी फंड्स:
ये फंड्स शेयर बाजार में निवेश करते हैं और आमतौर पर 12-15% तक का रिटर्न देते हैं। - डेब्ट फंड्स:
ये फंड्स फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज़ जैसे बॉन्ड्स में निवेश करते हैं और 6-8% तक का रिटर्न प्रदान करते हैं। - हाइब्रिड फंड्स:
इक्विटी और डेब्ट का मिश्रण होने के कारण, इनका रिटर्न 8-10% के बीच होता है।
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म्यूचुअल फंड रिटर्न्स का सही आकलन कैसे करें?
- CAGR का उपयोग करें:
लंबे समय में फंड के प्रदर्शन का सही आंकलन करने के लिए CAGR सबसे उपयोगी है। - रेलेटिव रिटर्न का विश्लेषण करें:
अपने फंड के प्रदर्शन की तुलना बेंचमार्क से करें। - ट्रेलिंग और रोलिंग रिटर्न पर ध्यान दें:
यह फंड के स्थिरता और निरंतर प्रदर्शन को समझने में मदद करता है। - लागत और जोखिम का आकलन करें:
फंड का खर्च अनुपात और उससे जुड़े जोखिम को समझना बेहद ज़रूरी है।
म्यूचुअल फंड रिटर्न्स के फायदे और सीमाएं
फायदे:
- कंपाउंडिंग का फायदा
- डाइवर्सिफिकेशन
- पेशेवर प्रबंधन
- मुद्रास्फीति से लड़ने की क्षमता
सीमाएं:
- बाजार जोखिम
- गारंटी नहीं होती
- खर्च अनुपात का असर
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निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतरीन माध्यम है, लेकिन सही फंड का चुनाव और रिटर्न के प्रकार को समझना बेहद ज़रूरी है। आपकी निवेश अवधि, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार म्यूचुअल फंड रिटर्न का चुनाव करना चाहिए।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर करें। बाजार में जोखिम जुड़े होते हैं, इसलिए निवेश करते समय सावधानी बरतें। इस लेख को शेयर करें और म्यूचुअल फंड निवेश को लेकर जागरूकता बढ़ाएं!