क्या आप ने जाने – 1 अक्टूबर से PPF, म्यूचुअल फंड और इंश्युरंस के नए वित्तीय नियम, New financial rules from October 1 -दोस्तों हम साल 2024 के अक्टूबर कर चुके है, इस महीने से ऐसे बहुत से फाइनेंसियल बदलाव होने जा रहे है जो इन्वेस्टर्स, उधारकर्ता और पालिसीहोल्डरों को प्रभावित कर सकते है।
इन अपडेट में छोटी बचत योजनाओं में बदलाव, लोन ट्रांसपेरेंसी उपाय और स्वास्थ्य बीमा रेगुलेशन से लेकर म्यूचुअल फंड और शेयर बायबैक पर नए टैक्स ढांचे तक शामिल हैं।
डाकघर की छोटी बचत योजनाओं के लिए नए नियम
New Rules for Post Office Small Savings Schemes – सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि योजना सहित डाकघर बचत योजनाओं के लिए नियमों में संशोधन किया है।
- यह परिवर्तन नाबालिगों के पीपीएफ खातों को प्रभावित करता है। इसमें नाबालिग के लिए केवल एक पीपीएफ खाता खोला जा सकेगा, विपरीत उसके की जिसमे लोग नाबालिग के नाम पर कई खाते रखते थे, अब ये नही हो पायेगा और इस पर पर अंकुश लगेगा।
- यदि आपने नाबालिग के लिए एक से अधिक खाते खोले हैं, तो अतिरिक्त खातों को “अनियमित (irregular)” के रूप में वर्गीकृत कर दिया जाएगा, तथा बच्चे के 18 वर्ष का होने तक, अकाउंट में 7.1% के बजाय 4% की कम ब्याज दर मिलेगी।
- अनिवासी भारतीय (NRI) जो PPF खाता रखते समय अपने निवास की स्थिति के बारे में नही बताते है, तो उनको भी अपने पीपीएफ के खातों में बदलाव का सामना करना पड़ेगा।
- बजाज कैपिटल लिमिटेड के संयुक्त अध्यक्ष और एमडी संजीव बजाज ने बताया, 1 अक्टूबर से, इन खातों पर अब ब्याज नहीं मिलेगा, जो सरकार की तरफ से PPF खाता धारको के प्रति सख्त रवैया को दर्शाता है।
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उधारकर्ताओं के लिए अधिक ऋण पारदर्शिता
Greater Loan Transparency for Borrowers – 1 अक्टूबर से, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों और NBFC को सभी रिटेल लोन के लिए एक मुख्य तथ्य विवरण (Key Facts Statement, KFS) जारी करने की आवश्यकता होगी।
यह डॉक्यूमेंट उधारकर्ताओं को लोन शर्तों, चार्जेज और प्रभारों का स्पष्ट और व्यापक विवरण प्रदान करेगा। ये डिटेल्स हिडन कास्ट (hidden costs) और बारीक-प्रिंट भ्रम को समाप्त करके, KFS का उद्देश्य उधारकर्ताओं को बेहतर वित्तीय स्पष्टता प्रदान करना है।
स्वास्थ्य बीमा: कम प्रतीक्षा अवधि और आसान क्लेम
Health Insurance: Shorter Waiting Periods and Easier Claims – यदि आपके पास मार्च 2024 से पहले जारी की गई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, तो आपको अपनी पॉलिसी नवीनीकरण के दौरान महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।
इंश्युरंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (IRDAI) ने स्थगन अवधि (moratorium period) को आठ साल से पाँच साल तक कम कर दिया है – वह अवधि जिसके दौरान धोखाधड़ी के आधार को छोड़कर क्लेम को चुनौती नहीं दी जा सकती।
इसके अतिरिक्त, पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को चार साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है, जिससे पॉलिसीधारकों के लिए लाभ का क्लेम करना आसान हो जायेगा।
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एंडोमेंट पॉलिसियाँ में ज्यादा प्रारंभिक निकास भुगतान होगा
Endowment Policies to Offer Higher Early Exit Payouts -पॉलिसीधारकों को एंडोमेंट जीवन बीमा में बेहतर सरेंडर वैल्यू का लाभ मिलेगा यदि वे अपनी पॉलिसी से जल्दी बाहर निकलने का विकल्प चुनते हैं।
- बजाज कहते हैं, “पहले, जो लोग पहले वर्ष के भीतर अपनी पॉलिसी सरेंडर करते थे, उन्हें अपने प्रीमियम पर कोई रिटर्न नहीं मिलता था।
- नए नियम में अनिवार्य किया गया है कि जो पॉलिसीधारक जो खुद को प्रीमियम का भुगतान जारी रखने में असमर्थ पाते हैं या जिन्हें पता चलता है कि उन्हें पॉलिसी गलत तरीके से बेची गई थी, उनके पालिसी के समय से पहले बाहर निकलने पर आंशिक प्रीमियम रिफंड दिया जाए!
- यह नियम पॉलिसीधारकों के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है
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म्यूचुअल फंड पुनर्खरीद पर अब 20% टीडीएस नहीं
No More 20% TDS on Mutual Fund Repurchases – निवेशकों पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए सरकार ने म्यूचुअल फंड यूनिट पुनर्खरीद पर स्रोत पर 20% कर कटौती (टीडीएस) को समाप्त कर दिया है।
- 2024-25 के केंद्रीय बजट के हिस्से के रूप में घोषित, यह संशोधन म्यूचुअल फंड निकासी के कराधान को तर्कसंगत बनाकर निवेशकों को राहत प्रदान करने के लिए बनाया गया है।
- 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस संशोधन से म्यूचुअल फंड यूनिट की रेडीम पर इमीडियेट टैक्स का झटका कम हो जाएगा।
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कर विवादों के लिए प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना
Direct Tax Vivad Se Vishwas Scheme for Tax Disputes
- 1 अक्टूबर से डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास स्कीम 2024 की भी शुरुआत हो रही है।
- टैक्स मुकदमेबाजी के बोझ को कम करने के लिए बनाई गई यह पहल करदाताओं को टैक्स डिपार्टमेंट के साथ विवादों को निपटाने के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र प्रदान करती है।
- यह योजना नए अपीलकर्ताओं के लिए कम निपटान राशि प्रदान करती है और 31 दिसंबर से पहले विवाद घोषित करने वालों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है।
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बायबैक टैक्सेशन में परिवर्तन
Changes in Buyback Taxation – पहले, जब कोई कंपनी अपने शेयर वापस खरीदती थी, तो कंपनी टैक्स का बोझ उठाती थी जबकि शेयरधारकों को टैक्स फ्री आय प्राप्त होती थी।
अब, 1 अक्टूबर से बायबैक आय को लाभांश आय के रूप में माना जाएगा और शेयरधारक के व्यक्तिगत आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा।
यह बदलाव निवेशकों, विशेष रूप से कर्मचारी स्टॉक विकल्प (ESOP) बायबैक का उपयोग करने वाले स्टार्टअप कर्मचारियों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
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सेबी ने बोनस इश्यू ट्रेडिंग को सुव्यवस्थित किया
SEBI Streamlines Bonus Issue Trading – बोनस इश्यू के इच्छुक निवेशकों के लिए, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) ने प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।
इस महीने की शुरुआत से, बोनस इश्यू के शेयर, रिकॉर्ड तिथि के दो दिन बाद ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे, जबकि पहले प्रतीक्षा अवधि दो सप्ताह तक की थी। यह परिवर्तन निवेशकों के लिए अधिक तरलता और बोनस शेयरों तक त्वरित पहुँच प्रदान करेगा।
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निष्कर्ष (Conclusion)
जैसे-जैसे ये सुधार प्रभावी होंगे, व्यक्तियों और व्यवसायों को समान रूप से अपनी वित्तीय रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी।
चाहे बीमा पॉलिसियों पर पुनर्विचार करना हो, निवेश पोर्टफोलियो को समायोजित करना हो या टैक्सेशन में बदलावों पर ध्यान देना हो, अक्टूबर के वित्तीय बदलावों पर सावधानीपूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है।
इन अपडेट को समझने के लिए सक्रिय होने से आपको बदलते वित्तीय परिदृश्य को समझने और सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है,” बजाज कहते हैं।
ये परिवर्तन वित्तीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने और अधिक पारदर्शी, निवेशक-अनुकूल तंत्र प्रदान करने के सरकार के व्यापक उद्देश्य को दर्शाते हैं। सूचित रहें, तैयार रहें और अपने वित्तीय हितों की रक्षा के लिए इन अपडेट का अधिकतम लाभ उठाएँ।