Gold ETFs में निवेश का बुखार क्यों चढ़ा हर निवेशक पर? ये कारण बदल देंगे आपकी सोच! Indian Gold ETF Investment Options – गोल्ड निवेशकों के बीच हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन शारीरिक सोने को खरीदने और रखने की सीमाएं इसे सभी के लिए आसान नहीं बनातीं।
इसी कमी को दूर करने के लिए गोल्ड ईटीएफ (Exchange Traded Funds) ने एक नई राह बनाई है। ये एक सरल और सुरक्षित विकल्प प्रदान करते हैं, जहां आप डिजिटल रूप से सोने में निवेश कर सकते हैं। आइए जानें कि गोल्ड ईटीएफ ने क्यों निवेशकों के बीच खास जगह बनाई है और यह आपके निवेश पोर्टफोलियो के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है।
भारत में गोल्ड ईटीएफ का बढ़ता प्रभाव
भारतीय गोल्ड ईटीएफ ने हाल के वर्षों में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, 31 अक्टूबर, 2024 तक भारतीय गोल्ड ईटीएफ के पास होल्ड किए गए गोल्ड का वॉल्यूम 54.5 टन तक पहुंच गया, जो चार साल पहले 27.4 टन था।
इसके पीछे कारण
- जियो-पॉलिटिकल रिस्क में वृद्धि
- सेंट्रल बैंक की नीतियों में बदलाव
- इक्विटी मार्केट की अस्थिरता
इन कारणों ने निवेशकों को गोल्ड जैसे स्थिर और सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर आकर्षित किया।
ये भी पढ़े – इस चौंकाने वाली ट्रिक से ₹25,000 महीना कमा कर बन सकते हैं करोड़ों के मालिक!
गोल्ड ईटीएफ क्या है?
गोल्ड ईटीएफ वास्तव में पैसिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जो 99.5% प्योरिटी वाले स्टैंडर्ड बुलियन में निवेश करती हैं। इन फंड्स का उद्देश्य गोल्ड की घरेलू कीमतों को बारीकी से ट्रैक करना होता है।
गोल्ड ईटीएफ: क्यों बना संकट के समय का साथी?
पिछले 15 वर्षों के दौरान, 2011, 2020, और 2024 जैसे संकटपूर्ण वर्षों में भारतीय गोल्ड ईटीएफ में उल्लेखनीय निवेश हुआ।
- 2011: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ढीली मौद्रिक नीति।
- 2020: कोविड महामारी और वैश्विक बाजारों में गिरावट।
- 2024: बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव।
इस दौरान निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ को एक “सुरक्षित ठिकाने” के रूप में देखा।
ये भी पढ़े – 8-4-3 रूल: स्मार्ट इन्वेस्टमेंट से कैसे पाएं 1 करोड़ रुपये – जानें पूरी जानकारी!
टैक्स में बदलाव: गोल्ड ईटीएफ बना अधिक आकर्षक
2024 के केंद्रीय बजट में किए गए बदलावों ने गोल्ड ईटीएफ को और आकर्षक बना दिया।
- अगर गोल्ड ईटीएफ यूनिट्स को एक साल से ज्यादा होल्ड किया जाए, तो कैपिटल गेन टैक्स सिर्फ 12.5% होगा।
- पहले, टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता था।
फिजिकल गोल्ड का सपोर्ट: ईटीएफ कैसे काम करता है?
गोल्ड ईटीएफ सीधे फिजिकल गोल्ड को सपोर्ट करता है।
- ये फंड स्टैंडर्ड बुलियन में निवेश करते हैं।
- लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) के निर्धारित मानकों के अनुसार 995 प्योरिटी या उससे ज्यादा वाले गोल्ड को स्टोर किया जाता है।
यह सुनिश्चित करता है कि आपका निवेश सुरक्षित और पारदर्शी है।
ये भी पढ़े – एक शेयर से मोटी कमाई: 250 रुपये का डिविडेंड और 7% की तेजी, क्या आप इस शेयर के मालिक हैं?
गोल्ड को कैसे शामिल करें अपने पोर्टफोलियो में?
गोल्ड को हमेशा “एसेट एलोकेशन प्रोडक्ट” के रूप में देखा जाना चाहिए।
- पोर्टफोलियो का 5-10% हिस्सा गोल्ड में निवेश करना समझदारी है।
- छोटे निवेशक एसआईपी (SIP) के जरिए गोल्ड ईटीएफ में नियमित निवेश कर सकते हैं।
एसआईपी के फायदे
- बाजार की अस्थिरता से बचाव।
- लंबे समय में बेहतर औसत रिटर्न।
गोल्ड ईटीएफ के मुख्य फायदे
गोल्ड ईटीएफ के मुख्य फायदे इस प्रकार से है –
- सुरक्षित निवेश विकल्प:
फिजिकल गोल्ड की तुलना में गोल्ड ईटीएफ ज्यादा सुरक्षित होते हैं क्योंकि इसमें चोरी या नुकसान का खतरा नहीं होता। - कम लागत:
इसमें फिजिकल गोल्ड की तुलना में स्टोरेज और अन्य खर्चे नहीं होते, जिससे यह किफायती बनता है। - पारदर्शिता:
गोल्ड ईटीएफ की कीमतें पूरी तरह पारदर्शी होती हैं और गोल्ड की घरेलू कीमतों को सीधे ट्रैक करती हैं। - लिक्विडिटी:
गोल्ड ईटीएफ को कभी भी और कहीं भी स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड किया जा सकता है, जिससे इसे बेचना आसान हो जाता है।
ये भी पढ़े – शेयर बाजार में भारी गिरावट से मचा कोहराम! जानिए क्यों डूबे ₹7.5 लाख करोड़ और कौन से 4 कारण हैं जिम्मेदार
गोल्ड ईटीएफ किसके लिए सही है?
गोल्ड ईटीएफ उन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो:
- गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन फिजिकल गोल्ड से जुड़ी परेशानियों से बचना चाहते हैं।
- अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाना चाहते हैं।
- नियमित और लंबी अवधि के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं।
निष्कर्ष
गोल्ड ईटीएफ निवेशकों के लिए एक सुरक्षित, सुविधाजनक और पारदर्शी माध्यम है। यह न केवल गोल्ड की कीमतों में वृद्धि का लाभ देता है, बल्कि इसे स्टोर करने या सुरक्षा की चिंता से भी बचाता है। यदि आप अपने पोर्टफोलियो में स्थिरता और विविधता चाहते हैं, तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
ये भी पढ़े –
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श जरूर करें। बाजार जोखिमों को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लें।